शुद्ध गतिलेखन क्यों और कैसे?
आशुलिपिकों के लिए समय और शक्ति बचाने की दृष्टि से पुस्तक में कुछ शब्द-चिहन संक्षिप्ताक्षर और वाक्यांश होते हैं, किन्तु ये परीक्षित नहीं होते। विभिन्न विषयों की शब्दावली इतनी विशाल है कि साधारण लेखक सभी विषयों के संभावित वाक्यांशों की कल्पना भी नहीं कर सकता। किन्तु संसद या विधानमंडलों में कार्यरत रिपोर्टरों को अपने दैनिक कार्य में सभी विषयों के सैकड़ों वाक्यांशों, मानवीय विचारों एवं कथनों का सामना करना पड़ता है। ऐसे वाक्यांशों का उपयोग इतना अधिक होता है कि यदि रिपोर्टर उन वाक्यांशों को बार-बार और पूरा-पूरा लिखे तो इससे एक ओर गति में रुकावट पड़ती है और दूसरी ओर श्रम तथा शक्ति नष्ट होती है। फल-स्वरूप ऐसे वाक्यांश पैदा होते हैं जिनका दैनिक कार्य में बहुत उपयोग होता है। इसी कारण रिपोर्टर शॉर्टहैंड के नियमों को लागू करने में पुस्तक को अपने अनुभव के आधार पर बहुत आगे तक ले जाती है, जिसके द्वारा उच्च एवं शुद्ध आशुलेखन सम्भव होता है। पुस्तक पढ़ाने वालों और प्रैक्टिकल रिपोर्टिंग करने वालों में यहीं अंतर आरम्भ होता है। यहीं पर शॉर्टहैंड पुस्तक की समाप्ति और रिपोर्टर की वाक्यांश-पुस्तक की आवश्यकता होती है। बिना रिपोटिंग के अनुभव के गढ़े हुए
वाक्यांशों से कुशल एवं उच्च गति के आशुलिपिक तैयार नहीं हो सकते। इन्हीं कमियों को दूर करके रिपोर्टिंग अनुभव पर आधारित यह पुस्तक गतिलेखन निर्देशिका आपके समक्ष प्रस्तुत है।
आशुलिपि की पाठ्य पुस्तक समाप्त करने के तुरन्त बाद इस पुस्तक का अध्ययन करने से आपको सही दिशा निर्देश शुद्ध आशुलेखन करने के लिए प्राप्त होगा। अतः इसके प्रत्येक भाग का गहराई से अध्ययन कर आप अपनी कमियों को शीघ्र दूर कर सकेंगे।
इस गतिलेखन निर्देशिका के चार भाग हैं । पहले भाग में दिए गए आशुलेखन के सैद्धान्तिक नियमों व उदाहरणों के पुनरीक्षण से आप सही लेखन के लिए अग्रसर हो सकेंगे और अपनी कमियों को दूर कर सकेंगे। ध्यान रखें बिना ठोस सिद्धान्त के शुद्ध गतिलेखन टेढ़ी खीर है। विशेष शब्द-सूची, शब्दाक्षरों एवं उपसर्ग-प्रत्यय से बनने वाले उपयोगी शब्दों के भंडार से आप सरलता से आशुलेखन में प्रवीण हो सकेंगे।
पुस्तक के दूसरे भाग में शब्द-चिह्नों, शब्दाक्षरों एवं व्यंजनों को मिलाने से बनने वाले वाक्यांश दिए गए हैं। इनके बाद अर्द्धकरण एवं द्विगुणन से बनाए गए वाक्यांश दिए गए हैं। इन सबका प्रयोग भाषा में 60 से 70 प्रतिशत तक होता है, इसलिए इनको कोई भी आशुलिपिक अपनाकर शीघ्र गति बढ़ा सकते हैं।
पुस्तक के तीसरे एवं चौथे भागों में गतिलेखन एवं पढ़ने के लिए 60,72,80 तथा 100 शब्द प्रति मिनट की गतिलेखन व पठन के अभ्यास दिए गए हैं। पुस्तक के पांचवें भाग में ग्रेड डी एवं विभिन्न परीक्षाओं के लिए आशुलिपि प्रतिलेखन के अभ्यास दिए गए हैं। इन्हें सही गिनती 20 शब्दों के / तिर्यक चिह्न के साथ इस प्रकार संजोया गया है कि 80, 100, 120 या किसी भी गति अथवा अवधि जैसे 5-10 मिनट की के डिक्टेशन लिखने के लिए इनका प्रयोग किया जा सके ।
इस पुस्तक का प्रथम संस्करण केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, मानव संसाधन मंत्रालय के वित्तीय अनुदान से प्रकाशित हुआ था जिसके लिए लेखक उनका आभारी है । छात्रों की भारी मांग पर इस पुस्तक का नवीनतम संस्करण अधिक अभ्यासों के साथ प्रकाशित किया गया है ताकि छात्रों को आशुलिपि के प्रतिलेखन की परीक्षाओं के लिए अधिक सामग्री मिल सके और उनको सफलता मिल सके।
दिनांक 2 अप्रैल, 2011 डॉ. गोपाल दत्त बिष्ट
नई दिल्ली-110058 विशिष्ट आशुलेखक