आशुलिपि का चरण
विशिष्ट आशुलिपि श्रृंखला की यह 5वीं पुस्तक आपके लिए पूर्णतः संशोधित एवं परिमार्जित रूप में प्रस्तुत है, जिसके चार भाग हैं।
प्रथम भाग में शब्द चिन्ह, शब्दाक्षर, संक्षिप्ताक्षर तथा इन सभी से बनने वाले शब्दो के रूप शब्द कोश की भांति दिए गए हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप उन्हें सरलता से खोज सकें। पहले इन सभी का अभ्यास कर लें ताकि आप इन महत्वपूर्ण शब्द रूपों को भूल न जाएं।
दूसरे भाग में संसदीय कार्यवाहियों के कुछ ऐसे अंश दिए गए है जिनसे आपको पता लगे कि हिन्दी में अन्य भारतीय भाषाओं तथा अंग्रेज़ी, उर्द, फ़ारसी आदि के शब्दों का दैनिक कार्य में किस प्रकार प्रयोग होता है। इन अभ्यासों के सामने ही उनके आशुलेख भी दिए गए हैं ताकि आप आशुलेखों को पढ़ने का अभ्यास कर सकें और डिक्टेशन में उन शब्दों के सही रूप लिख सके।
पुस्तक के तीसरे भाग में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के हिन्दी में दिए गए महत्वपूर्ण भाषणों के कुछ गतिलेखन अभ्यास दिए गए हैं जिनसे आपको अनेक नये शब्दों, सामासिक शब्दों का ज्ञान
होगा। इन गतिलेखन अभ्यासों के आशुलेख पुस्तक के चौथे भाग में दिए गए हैं ताकि उनसे आप इन शब्दों को गति पर शुद्ध रूप से लिखने और पढ़ने का अभ्यास कर सकें, पहले इनके आशुलेख पढ़ें और कठिनाई होने पर हिन्दी अनुवाद देखें । यह स्मरण रहे कि आशुलेखन में आशुपठन भी उतना ही महत्वपूर्ण है लिखे मौलवी पढ़े खुदा वाली न हो तो आशुलेखक शीघ्र सफलता की चोटी पर पहुंचता है।
मुझे पूर्ण आशा और विश्वास है कि आप क्रमानुसार विशिष्ट आशुलिपि पुस्तकों का अध्ययन करेंगे तो शीघ्रातिशीघ्र आपको निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति हो सकेगी।
नई दिल्ली-58 डॉ. गोपाल दत्त बिष्ट (आशुलेखक)
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Team of Steno for All